It’s not us It’s all of us
परमात्मा एक प्रवाह है, वह चेतन है, वह ऐसे जटिल धाराओं का समूह है जिसकी हम कल्पना नहीं कर सकते। वह ऊर्जा है जैसे हम सभी ऊर्जा हैं परंतु वह सिर्फ ऊर्जा से नहीं समझा जा सकता। उसे समझने के लिए हमें हमारे ही बनाए कंप्यूटर को समझना होगा।
हमने कंप्यूटर बनाए हैं और वे कैसे काम करते हैं? वे इलेक्ट्रॉनों के प्रवाह से काम करते हैं और इलेक्ट्रॉन क्या हैं? वे मूल रूप से ऊर्जा के पैकेट हैं। तो मूल रूप से कंप्यूटर जो एक बुद्धिमान मशीन है, एक प्रोग्राम के साथ काम करता है जो इलेक्ट्रॉनों को एक निश्चित तरीके से प्रवाहित होने का मार्गदर्शन करता है।
ठीक इसी तरह हमारी चेतना काम करती है, सामूहिक चेतना, यह मूल रूप से एक प्रोग्राम है जो ऊर्जा को एक प्रवाह में काम करने का मार्गदर्शन करता है। इसलिए निर्धारणवाद का दर्शन बहुत हद तक सही है लेकिन यह हमारी क्षमताओं से कहीं ज्यादा जटिल है क्योंकि हम इसका सिर्फ एक हिस्सा हैं।
सत्य यही है, सब कुछ पहले से निश्चित परंतु इसका यह अर्थ नहीं कि हम सब कुछ निश्चित मानकर सब त्याग दें। जीवन का आनंद ही है सब कुछ। निश्चित मानकर भी उसे जीना, कोशिश करना यह जानते हुए भी कि कुछ भी हमारे हाथ में नहीं है। जितना हम जीवन को इस भाव से जियेंगे, उतना ही हम पाएंगे कि जो चीज़ें हमारे लिए पहले से निश्चित हैं, वह सिर्फ एक कहानी नहीं है, वह कई कहानियाँ हैं, अनगिनत, अनेक, हमारी कल्पना से बहुत परे। और हम जितना जीवन को जान लेते हैं, उतना ही उन सभी निश्चित कनाइयों को जी लेते हैं। सब कुछ तय है, जाना हमें उसी राह पर है जो पहले से बनाई जा चुकी है पर वह एक होते हुए भी अनेक है। और जो वास्तविकता सिर्फ एक राह समझ कर जीता है वह कभी जीवन का परम आनंद नहीं पाता।
परम आनंद वही पाता है जो सारी राहों को समेट के जीता है, सारी निश्चित सच्चाइयों को अपने अंदर समा लेता है। वह परम आनंद को प्राप्त कर लेता है। और सच में जिसको परम आनंद प्राप्त हो गया, वह महात्मा नहीं बन जाता, वह समाधि नहीं ले लेता, वह जीवन नहीं त्याग देता, वह दुनिया को मिथ्या समझकर नहीं छोड़ के चला जाता। वह इस सुख को बताता है, क्योंकि महावीर ने धर्म बनाए, क्योंकि बुद्ध ने ज्ञान बताया, क्योंकि महर्षियों ने वेद लिखे, क्योंकि उन्होंने पूरी तरह से त्याग नहीं किया यह मिथ्या से भरा जीवन। क्योंकि परम आनंद वही है जिसे पकड़कर तुम्हें उसे बताने की इच्छा हो, असली सुख वही है जिसे बताए बिना तुम्हें वो सुख सुख न लगे।
जीवन का एकमात्र ही आनंद है बताना। हमें जो सुख दे, हमें जो सही लगे, हमें जो सत्य लगे उसे संसार से साझा, जागत के साथ, ब्रह्मांड के साथ बताना।